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धारा - 17 विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने की विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य

धारा - 17 विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने की विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
काल्पनिक चित्र 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा - 17
 
(विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने की विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य) 

कोई बात अपराध नही है जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा न्यायानुमत है या तथ्य की भूल के कारण न कि विधि की भूल के कारण सदभावपूर्वक विश्वास करता है। की वह उसे करने के लिए विधि द्वारा न्यायानुमत है।

उदाहरण - क, य को ऐसा कार्य करते हुए देखता है, जो  को हत्त्या प्रतीत होता है  सदभावपूर्वक काम में लाए गए अपने श्रेष्ठ निर्णय के अनुसार उस शक्ति को प्रयोग में लाते हुए जो विधि ने हत्या करने वाले को, उस कार्य में पकड़ने के लिए समस्त व्यक्तियों को दे रखी है,  को उचित प्राधिकारियों के समक्ष ले जाने के लिए  को अभिगृहित करता क, ने कोई अपराध नहीं किया है  चाहे तत्त्पश्चात असल बात यह निकले की  आत्म प्रतिरक्षा में कार्य कर रहा था 

(IPC) की धारा 79 को (BNS) की धारा 17 में बदल दिया गया है।
(IPC) की धारा 79 को (BNS) की धारा 17 में बदल दिया गया है।


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